इतनी शिद्दत से की है मोहब्बत
रह जाये न कही अनकही छोटी सी वो दास्ताँ
आज कह लेने दो जो आई है दिल में बात
कल कहने की हिम्मत जाने हो न हो
अनजान से डगर दिख सी रही है सामने ऐसी
निकल चली हु और रह गया है जहाँ पीछे आज
मीलो के सफ़र पर है लोग
मीलो दूर है सारी वादिया
किसी मंजर पर न रुकी हु
शायद खुद से भी न मिली हु
कभी सेहरा कभी सावन
कुछ सच कुछ माया
भोर भये और सांझ ढले
फिरे मेरे साथ दर दर ये तेरी यादें
ऐसा लापरवाह नहीं होना आज मुझे
की वक़्त के साथ तुम्हे भी खो दो
पर सोच कर ये रुक सी जाती हु मैं
की कौन जाने क्या सोच लोगे तुम
किसको खबर कौन दिशा लोगे तुम
खीच लाती है यादें तुम्हारी ओर
और रह जाता है इंतज़ार
तुम्हारे चले आने का.....
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