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Sunday, February 23, 2014
falak.....
बादलों ने फिर से की है वो ही साज़िश
जहाँ घर है मेरा की है वही बारिश
फलक कि ज़िद है बिजलिया गिराने की
मेरी भी ज़िद है वही आशियाँ बनाने की
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