वो शख्स हमें अपनी सादगी से दीवना बना गया
सादगी से हमें जाने कैसे तबाह कर गया
कह गया की जा तुझे तेरे हाल पर छोड दिया
इससे बेहतर तेरी और कोई सजा ना होगी
रिश्ता तो रहा कुछ अजीब सा
ना नफरत की वजह ही मिली
ना मोहब्बत का सिला
कुछ अलग ही था वो सिलसिला
अपना भी ना बनाया और
किसी का होने भी ना दिया
1 comment:
Nicely written as its harshly true. Time changes definitions. So are you trusting the time? Or the definition it gave?
Post a Comment