Thursday, March 22, 2012

na jaane kyu......

फिर से वो बेफिक्री का आलम
आज लौट चला है
बरसो बाद याद आ गयी है
मोहल्ले की वो गलिया
कहानी की एक डोर
आज यूँ ही कही वापस
बाँध कर ले चली है
दूर कहीं किसी राह पर
कच्ची पक्की सडको पर
सैकड़ो निशानियाँ आवाज़ देती है
शिद्दत से की हुई इबादत
आज कहानी कोई याद दिलाती है

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