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Sunday, April 29, 2012

ankahi

गुनाह होता तो माफ़ कर देती
नेकी होती तो भूल भी जाती 
उस तजुर्बे को कैसे भुला दू अब 
जिसने ज़िन्दगी की हर शय बदल दी

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