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Wednesday, January 18, 2012

Virah



सुना है तुमने हमारे ख़त जला दिए
वादे सारे कैसे पल में भुला दिए
जाने कौन सा खौफ हो गया आज तुम्हे
जाने किसने तुम्हे बहाने सिखा दिए
माना की दर्द से हो जाएगा जीवन बंजर
माना की मतलब का नहीं रहेगा कोई मंजर
पर ये कैसे मान लू मैं की मतलब था नहीं कभी
या ये सोच लू की समय नहीं है तुम्हे अभी
सच ही कह गया है कोई 
जीवन की नैया के है खेल निराले
जाने कौन कौन से रंग समेटे बैठी है
हर रंग के पीछे छुपी एक कहानी है
चंचल निश्छल तो कभी चुट्कुली
कभी रहे ऐसे चमकीली
और कभी सिर्फ कोरी 

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